
शिवांश अपने बिस्तर पर बैठा, कमरे की हल्की रोशनी में खोया हुआ था। बीती रात की वो लडकी, उसकी आँखें और रहस्यमयी मुस्कान बार-बार उसके दिमाग में घूम रही थीं। वह जानने की कोशिश कर रहा था कि आखिर वह कौन थी और क्यों उसकी यादें उसके दिलो-दिमाग पर इतनी गहरी छाप छोड गई थीं। परंतु उसे यह नहीं पता था कि उसकी जिंदगी का एक ऐसा पल करीब आ रहा है, जो सब कुछ बदल देगा।
घडी ने रात के ठीक बारह बजाए थे। कमरे के बाहर का वातावरण शांत था, लेकिन उस शांति के पीछे कुछ अजीब सा सन्नाटा था। शिवांश को ऐसा लगा जैसे कोई उसे देख रहा है। उसने अपनी कुर्सी से उठकर खिडकी के बाहर झाँका, लेकिन वहाँ कुछ नहीं था। उसने इसे महज अपना वहम समझा और फिर से बिस्तर पर बैठ गया।
तभी कमरे के दरवाजे से एक धीमी सी आवाज आई। शिवांश ने चौंककर दरवाजे की ओर देखा। कौन है? उसने तेज आवाज में पूछा, लेकिन कोई जवाब नहीं आया। अगले ही पल, दरवाजा जोर से खुला और एक नकाबपोश आदमी तेजी से अंदर घुस आया। शिवांश घबरा गया और उसने भागने की कोशिश की, लेकिन नकाबपोश की रफ्तार उससे कहीं ज्यादा तेज थी। उसने अपनी जेब से बंदूक निकाली और बिना किसी चेतावनी के शिवांश पर गोली चला दी।
शिवांश के शरीर में गोली लगते ही वह दर्द से चीख उठा और बिस्तर पर गिर पडा। उसके चारों ओर खून फैलने लगा। उसकी साँसें धीरे-धीरे कमजोर पड रही थीं। वह अपनी धुंधली होती आँखों से उस नकाबपोश को देखने की कोशिश कर रहा था, लेकिन उसकी शक्ति अब साथ छोड रही थी। कुछ ही पलों में उसकी साँस थम गई।
कमरा खामोश हो चुका था। नकाबपोश आदमी ने शिवांश के निढाल शरीर को गौर से देखा। उसके चेहरे पर किसी भी प्रकार का पछतावा नहीं था। वह ठंडे मन से अपनी जेब से मोबाइल निकाला और एक नंबर डायल किया।
" सर, आदमी मर चुका है, उसने सधे हुए स्वर में कहा।
दूसरी तरफ से एक गंभीर आवाज आई, यकीन है? पिछली बार की गलती फिर से मत करना। पूरी तरह से Check करो।
नकाबपोश ने शिवांश के शरीर की ओर झुकते हुए कहा, सर, यह वही है। इस बार कोई गलती नहीं हुई।
उसने Call काट दी और शिवांश के शरीर को आखिरी बार देखा। फिर बिना कोई निशान छोडे, वह उसी दरवाजे से बाहर निकल गया, जिससे वह आया था। कमरे में अब सिर्फ खून और सन्नाटा रह गया था।
यह घटना न केवल शिवांश के जीवन का अंत थी, बल्कि यह एक गहरी साजिश की शुरुआत थी। यह सवाल अब हवा में था-आखिर शिवांश के साथ ऐसा क्यों हुआ? और वह नकाबपोश कौन था, जिसने उसकी जिंदगी छीन ली? रहस्य की परतें धीरे-धीरे खुलने वाली थीं, और यह रात केवल कहानी का आरंभ थी।
कूपर्स बीच, साउथेम्प्टन, न्यूयॉर्क
सूरज धीरे-धीरे क्षितिज से ऊपर उठ रहा था, लेकिन कूपर्स बीच पर पसरा सन्नाटा इस बात की गवाही दे रहा था कि यहां कुछ गंभीर घटना घटी थी। पूरे बीच को पुलिस ने घेर रखा था, पीले रंग की" क्राइम सीन" टेप जगह-जगह खिंची हुई थी। हर तरफ कानून-व्यवस्था की हलचल थी। टूरिस्ट और लोकल लोग पुलिस बैरिकेड्स के पीछे खडे एक-दूसरे से फुसफुसा रहे थे।
बीच के किनारे, रेत पर, भयानक दृश्य था जिसे देखकर किसी का भी दिल दहल जाए। एक शव बीच पर पडा था, लेकिन इसे' शव' कहना शायद सही नहीं होगा। यह एक बुरी तरह विकृत शरीर था। उसका सिर गायब था, और धड से जुडे अंग इस तरह बिखरे पडे थे जैसे किसी जानवर ने शिकार के बाद अपने पंजों से शरीर को चीर दिया हो। हर तरफ खून से रेत भीग चुकी थी।
एफबीआई के एजेंट और फोरेंसिक टीम शव का निरीक्षण कर रहे थे, लेकिन उनके चेहरे पर फैली बेचैनी बता रही थी कि यह मामला साधारण नहीं है। एजेंट एरिक मायल्स, जो टीम में नया था, ने लाश को गौर से देखते हुए अपने सीनियर, थॉमस हार्पर, से कहा," सर, ऐसा लग रहा है कि इस इंसान को मौत से पहले बेरहमी से तडपाया गया था। इसकी बॉडी के हर एक अंग पर गहरे घाव हैं, ऐसा लगता है जैसे किसी धारदार हथियार से इसे काटा गया हो।
थॉमस हार्पर, एक अनुभवी एफबीआई सीनियर ऑफिसर, शव के पास खडा हुआ था। उसके चेहरे पर झलकती गंभीरता साफ बता रही थी कि वह इस मामले को हल्के में नहीं ले रहा था। उसने चारों ओर नजर दौडाई। एक लम्बी और, गहरी सांस लेते हुए उसने आदेश दिया,
" फोरेंसिक टीम से पूरी रिपोर्ट तैयार करने को कहो। और उन पास के कैमरों की फुटेज भी मंगाओ। इस लडके की पहचान जल्द से जल्द होनी चाहिए।
फोरेंसिक टीम लीडर, डॉ. रेबेका हॉल, थॉमस के पास आई। सर, हमें शव के अवशेषों से अभी तक कोई ठोस सुराग नहीं मिला है। यह व्यक्ति लगभग बीस-22 साल का युवक लगता है। इसके कपडों और शरीर के आकार से यह Collage गोइंग स्टूडेंट प्रतीत होता है, लेकिन इससे ज्यादा जानकारी अभी नहीं है।
थॉमस ने अपनी आंखें छोटी करते हुए पूछा, और सिर? वह कहां है? यह हत्या किसी साधारण अपराधी का काम नहीं लगती।
डॉ. हॉल ने सिर हिलाया, सर, सिर का कोई पता नहीं चला। हम समुद्र के लहराें के आधार पर खोज कर रहे हैं, लेकिन अभी तक कुछ हाथ नहीं लगा।
तभी, कुछ दूरी पर खडा एक एजेंट अचानक जोर से चिल्लाया, सर, वो देखिए कुछ तैरता हुआ आ रहा है!
सभी की निगाहें उस दिशा में मुड गईं। लहरों के साथ बहता हुआ एक कटा हुआ सिर धीरे-धीरे किनारे की ओर आ रहा था। यह सिर किसी युवक का था। चेहरे पर हल्की दाढी, तीखी नाक, और बडे-बडे डरावने आंखें जिनमें मौत का खौफ स्थायी रूप से जमा हुआ था।
थॉमस ने अपनी घडी देखी। सबकुछ असामान्य गति से घट रहा था। तभी, एक और एजेंट, सारा कार्टर, भागते हुए थॉमस के पास आई और एक पासपोर्ट थमाते हुए बोली, सर, यह पासपोर्ट लाश के पास रेत में मिला है।
थॉमस ने पासपोर्ट पर नजर डाली। यह एक भारतीय पासपोर्ट था। नाम - शिवांश ओबेरॉय ,उम्र - बीस सालथॉमस ने पासपोर्ट को ध्यान से देखा और सिर पर एक नजर डाली। यह कटा हुआ सिर और पासपोर्ट की तस्वीर पूरी तरह मेल खा रहे थे। शिवांश ओबेरॉय. थॉमस ने नाम जोर से पढा। फोरेंसिक टीम, मुझे इसके बारे में हर जानकारी चाहिए। ये अमेरिकी कब आया था, किससे मिलने आया था, और क्या कारण था कि इसे इतनी बेरहमी से मारा गया। सारा, स्थानीय अधिकारियों से संपर्क करो और शिवांश के रिकॉर्ड्स खंगालो। हमें जल्दी जवाब चाहिए।
बीच पर मौजूद हर कोई सन्नाटे में था। इस तरह की क्रूरता ने हर किसी को अंदर तक हिला दिया था। यह मामला केवल हत्या का नहीं लग रहा था। यह कुछ बडा था। थॉमस हार्पर को यह अच्छी तरह समझ आ गया था।
" यह सिर अकेला जवाब नहीं देगा। थॉमस बडबडाया, हमें इसके पीछे का सच ढूंढना होगा।
नौ साल बाद दिल्ली इंडिया।
दिल्ली के कनॉट प्लेस पर एक बडी सी तीस मंजिला इमारत बनी हुई थी जिस पर बडे-बडे अक्षरों में एक नाम लिखा हुआ था महेश्वरी ग्रुप। यह था एशिया की नंबर वन कंपनी महेश्वरी ग्रुप का हेड ऑफिस, यूं तो महेश्वरी ग्रुप एशिया की सबसे पावरफुल कंपनी की लेकिन पूरी दुनिया में कोई भी इनसे टकराना नहीं चाहता था, जिसका कारण था यहां की सीईओ और महेश्वरी ग्रुप के चेयरमैन की पोती आध्या महेश्वरी। कहने के लिए तो आध्या एक लडकी थी लेकिन बिजनेस वर्ल्ड के समुद्र में आध्या माहेश्वरी किसी शार्क की तरह थी, जो अपने राइवल्स को बुरी तरह तबाह कर देती थी। सत्ताईस साल की उम्र में ही आध्या बिजनेस वर्ल्ड में अपना ऐसा नाम बना लिया था, जिस वजह से हर कोई उसके बारे में जानता था। वह देखने में जितनी सुंदर थी उसकी बिजनेस स्ट्रैटेजिस उतनी ही ज्यादा भयानक थी। बिजनेस वर्ल्ड में उसे एक नाम मिला था ice ledy. वैसे तो आध्या एक लडकी थी लेकिन उसे सबसे ज्यादा नफरत अगर किसी चीज से थी तो वह थे मर्द! आज तक कोई भी लडका आध्या के करीब नहीं आ पाया था जिसका कारण यही था कि कोई भी अगर उसके करीब आने की कोशिश भी करता तो आध्या उसे ऐसा सबक सिखाती कि वह दोबारा उसके आसपास भडकाने की भी हिम्मत नहीं कर पता था!
दूसरी तरफ एक तेज रफ्तार कार सीधा महेश्वरी ग्रुप के पार्किंग में आकर रूकी, कार के रुकते ही एक बेहद खूबसूरत लडकी व्हाइट शर्ट और ब्लैक पैंट पहने ड्राइविंग सीट से बाहर निकली और अपनी वॉच की तरफ देखते हुए कुछ परेशानी और घबराहट के साथ बोली, —" oh shit, मैं आज फिर लेट हो गई, आज तो Chief Executive Officer मुझे नहीं छोडेंगी!
खुद से इतना कहते ही वह लडकी जल्दी से वही बनी लिफ्ट के अंदर घुस गई और सीधा तीस वें फ्लोर का बटन दबा दिया। जैसे ही लिफ्ट रुकी उसे अपने सामने उसकी ही एक कॉलीग मिली जो उसे देखते ही बोली, —" ज्योत्सना मैम आप आज फिर से लेट हैं, जल्दी जाइए Chief Executive Officer आपका कब से इंतजार कर रही है। और वह इस समय बहुत गुस्से में भी है।
जैसे ही ज्योत्सना ने यह सुना कि उसकी Chief Executive Officer कब से उसका ही इंतजार कर रही है, उसके चेहरे के भाव तुरंत बदल गए और वह तेजी से सीईओ के केबिन की तरफ जाते हुए बोली। —" ओह गॉड आज तो Chief Executive Officer मुझे छोडूंगी नहीं!
इतना कहते ही वह तेजी से सीईओ के केबिन के अंदर घुस गई, केबिन के अंदर आते ही उसे अपने कानों में एक लडकी की मीठी मगर ठंडी आवाज सुनाई दी। —" Miss ज्योत्सना, आज आप फिर से पाँच मिनट लेट है!
जैसे ही ज्योत्सना के कानों में यह आवाज पडी वह अपने चेहरे पर नकली मुस्कान लिए सामने चेयर पर बैठी लडकी की तरफ देखकर बोली। —" Sorry मैम रास्ते में मेरी कर खराब हो गई थी, जिस वजह से मुझे पहुंचने में थोडा लेट हो गया।
जिस पर वह लडकी ज्योत्सना को घूर कर देखते हुए बोली। —" ज्योत्सना मुझे लगता है मुझे एक नई सेक्रेट्री हायर करने की जरूरत है, बिकॉज जिस तरह तुम काम कर रही हो उससे तो यही लगता है कि तुम्हें महेश्वरी ग्रुप में काम करना बिल्कुल पसंद नहीं आ रहा!
उस लडकी की इस बात को सुनते ही ज्योत्सना हडबडाते हुए बोली। —" नहीं मैम ऐसी कोई बात नहीं.
लेकिन वह इससे आगे कुछ कहती कि इससे पहले ही सामने चेयर पर बैठी लडकी उसकी बात बीच में ही काटते हुए बोली —" anyways forget it, tell me about our Highway project?
हाईवे project का नाम सुनते ही ज्योत्सना का चेहरा परेशानी भरा हो गया, जिसे देख सामने बैठी लडकी गंभीर आवाज में बोली। —" क्या कोई प्रॉब्लम है ज्योत्सना?
जिस पर ज्योत्सना ने जवाब दिया। —" मैम हाईवे project का सारा काम बहुत स्मूदली हो रहा था, लेकिन कुछ टाइम से रावत कंपनी हमारे project में रुकावट डाल रही है!
जैसे ही आध्या ने रावत कंपनी का नाम सुना हुआ हैरान हो गई और हैरानी से ही बोली। —" रावत कंपनी लेकिन वह तो हमारी अलाइंस कंपनी है"
जिस पर ज्योत्सना अपनी गर्दन हिलाते हुए बोली। —" जी मैम लेकिन मुझे खबर मिली है रावत कंपनी का सीईओ और राठौर कारपोरेशन के सीईओ विद्युत राठौर के बीच काफी Meeting हुई है, इसके बाद से रावत कंपनी हमारे हाईवे project पर रुकावट डाल रही है!
" राठौर कॉरपोरेशन, यह तो वही लोग हैं ना जिन्होंने हाईवे project के लिए टेंडर डाला था, लेकिन वह लोग टेंडर हासिल करने में कामयाब नहीं हो! आध्या एक गंभीर होते हुए कहा।
जिस पर ज्योत्सना अपनी गर्दन हिलाते हुए बोली —" जी, लेकिन लगता है टेंडर हाथ से जाने की वजह से राठौर कॉरपोरेशन का सीईओ काफी नाराज हो गया है और वह ऐसी टैक्टिक अपना कर हमारे कामों में रुकावट डाल रहा है!
उसकी यह बात सुनते ही आध्या के चेहरे पर एक ईविल स्माइल आ गई जिसके साथ वह ज्योत्सना को देखते हुए बोली। —" लगता है Mister राठौर यह भूल गए हैं की आध्या माहेश्वरी क्या कर सकती है। लेकिन राठौर Mister राठौर को सबक सिखाने से पहले हमें Mister अंशुल रावत से मिलना होगा! ज्योत्सना मेरी अभी अंशुल रावत के साथ Meeting फिक्स करो। मैं उसे दिखाती हूं आखिर महेश्वरी ग्रुप से खिलवाड करने की क्या कीमत चुकानी पडती है।
अपनी आखरी लाइन कहते हुए आध्या के चेहरे पर क्रूर भाव आ गए थे।
आध्या का आर्डर सुनते ही ज्योत्सना आध्या की तरफ देखते हुए बोली। -" लेकिन मैम आज तो आपके असिस्टेंट के लिए इंटरव्यू होने वाले हैं! और आप चाहती थी कि आप यह इंटरव्यू खुद से लें.
उसकी इस बात को सुनते ही आध्या उसकी तरफ टेढी नजरों से देख कर बोली। —" उसकी चिंता तुम्हें करने की जरूरत नहीं है, मैंने पहले ही उसका इंतजाम कर लिया है, तुम जल्दी से मेरी अंशुल रावत के साथ Meeting फिक्स करो!
इतना कहकर वह अपनी जगह से उठी और बाहर की तरफ जाते हुए बोली। —" ड्राइवर से मेरी कार निकालने को कहो।
और इतना बोल वह बाहर चली गई, उसके जाते ही ज्योत्सना भी तेजी से उसके पीछे जाने लगी और तुरंत ड्राइवर को Call कर के निकालने को कह दिया।
महेश्वरी ग्रुप की पार्किंग में आध्या माहेश्वरी अपनी कार की तरफ जा रही थी। उसके चेहरे पर वही आत्मविश्वास और कठोरता थी, जो उसे बिजनेस वर्ल्ड में खतरनाक बनाती थी। जैसे ही वह अपनी कार के पास पहुंची, तभी दूसरी तरफ से तेजी से आता एक शख्स उससे टकरा गया।
" ओह हेलो! क्या आप अपनी आंखें घर छोडकर आई हैं? टकराने वाला शख्स गुस्से में बोला।
आध्या ने उस पर अपनी ठंडी, मगर खतरनाक निगाहें डालीं। वह शख्स, शिवांश ओबेरॉय, एक खूबसूरत चेहरा और आत्मविश्वास से भरा हुआ था। उसकी आंखों में गुस्सा था, लेकिन जैसे ही उसकी नजर आध्या पर पडी, वह थोडा ठहर गया।
" आप. उसने थोडा झिझकते हुए कहा, लेकिन फिर अपने लहजे को संभालते हुए बोला, आपको पता है, आप जिस तरह चल रही थीं, उससे तो लगता है कि ये पार्किंग आपकी प्राइवेट प्रॉपर्टी है।
आध्या ने बिना किसी प्रतिक्रिया के उसे घूरा। और आपको क्या लगता है, यह पार्किंग किसकी है? उसने ठंडे स्वर में कहा।
शिवांश ने कुछ कहने के लिए मुंह खोला, लेकिन तभी उसने आध्या का चेहरा ध्यान से देखा। उसकी तीखी आंखें, आत्मविश्वास से भरी चाल, और चेहरे पर वो अलग सी कडक ठंडक. शिवांश अचानक ही उसे देखता रह गया।
" आप. आप असिस्टेंट के इंटरव्यू के लिए तो नहीं आई हैं? शिवांश ने मजाकिया लहजे में पूछा, उसके होशो-हवास थोडे खोए हुए।
" तुम्हें क्या लगता है? आध्या ने उसकी तरफ देखकर कहा।
" मुझे लगता है. अगर आप मेरी असिस्टेंट बनें, तो ऑफिस जाने का मन हर रोज करेगा। शिवांश ने उसकी आंखों में देखते हुए फ्लर्ट किया।
आध्या ने उसकी यह बात सुनते ही गुस्से से अपनी आंखें तरेरीं। तुम्हें अंदाजा भी है तुम किससे बात कर रहे हो? उसने अपनी खतरनाक आवाज में कहा।
शिवांश थोडा हंसा। किससे भी कर रहा हूं, कमाल की तो बात कर रहा हूं।
आध्या ने गुस्से से उसकी ओर कदम बढाए और धीमी मगर तीखी आवाज में बोली, तुम्हारे जैसे मर्दों की हिम्मत मुझे हर दिन हैरान करती है। लेकिन एक बात याद रखना, मुझसे पंगा लेना तुम्हारी सबसे बडी गलती होगी।
उसकी यह बात सुनते ही शिवांश थोडा चौका, लेकिन उसकी मुस्कान गायब नहीं हुई।
" ज्योत्सना! आध्या ने अपनी सेक्रेटरी को आवाज दी।
ज्योत्सना जल्दी से वहां आई और आध्या के साथ गाडी की तरफ बढ गई। शिवांश ने उनकी ओर देखते हुए सिर हिलाया और अपनी जगह खडा रहा।
जैसे ही आध्या और ज्योत्सना वहां से निकल गईं, शिवांश ने धीमी आवाज में खुद से कहा, आध्या माहेश्वरी. दिलचस्प! और उसके चेहरे पर एक शैतानी मुस्कान फैल गई। वो बुदबुदाया।
" हमने पहली बार देखा उनको,
तो लगा जिंदगी से हुई मुलाकात,
आंखों ने बयां कर दिया सब कुछ,
लबों से कुछ भी नहीं हुई बात।

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